
आप जानते हैं सर कि कासरगोड में कुछ गांव हैं जहां शरीयत का बोलबाला है दुनिया में जब भी कहीं बम विस्फोट होता है, चाहे वह श्रीलंका में, सिंगापुर में या अफगानिस्तान में, सामने केरल कनेक्शन ज़रूर निकलकर आता है ।
ऐसा क्यों होता है सर?’ यह सआप जानते हैं सर कि कासरगोड में कुछ गांव हैं जहां शरीयत का बोलबाला है दुनिया में जब भी कहीं बम विस्फोट होता है, चाहे वह श्रीलंका में, सिंगापुर में या अफगानिस्तान में, सामने केरल कनेक्शन ज़रूर निकलकर आता है।
ऐसा क्यों होता है सर?’ यह सवाल है पुलिस प्रमुख से निमाह मैथ्यू का, जो उन तीन जिहादी लड़कियों में से एक है, जिसे फिल्म’ द केरल स्टोरी’ The Kerala Story में दिखाया गया है ।
निमाह की भूमिका निभाई है योगिता बिहानी ने । फिल्म में दिखाया गया है कि निमाह एक ईसाई परिवार की लड़की है, जो इस्लाम कबूल कर लेती है । उसका धर्म परिवर्तन कराया गया है आतंकी संगठन आईएस के लिए । लेकिन, फिल्म के आखिर में पुलिस प्रमुख से उसका सवाल जाहिर करता है कि वह वापसी करना चाहती है ।
जो कोई भी केरल में पला- बढ़ा है या फिर इस राज्य में लंबे समय तक रहा है, उसके लिए निमाह के शब्द मेलोड्रामा से भरपूर हैं, लेकिन साथ ही सफ़ेद झूठ भी । यह पूरी फिल्म ही इन दो तथ्यों के इर्द- गिर्द झूलती रहती है ।
फिल्मकार ने इसे एक सच्ची घटना के तौर पर पेश किया है । शुरुआत में ही’ असल जीवन की पात्र’ निमाह पर्दे पर इस मेसेज के साथ आती है कि,’ मेरे साथ कई बार रेप किया गया और बुरी तरह प्रताड़ित किया गया । इस मूवी में उसका कुछ ही हिस्सा दिखाया गया है । मैं इस फिल्म कावाल है पुलिस प्रमुख से निमाह मैथ्यू का, जो उन तीन जिहादी लड़कियों में से एक है, जिसे फिल्म’ द केरल स्टोरी'( The Kerala Story) में दिखाया गया है ।
निमाह की भूमिका निभाई है योगिता बिहानी ने । फिल्म में दिखाया गया है कि निमाह एक ईसाई परिवार की लड़की है, जो इस्लाम कबूल कर लेती है । उसका धर्म परिवर्तन कराया गया है आतंकी संगठन आईएस के लिए । लेकिन, फिल्म के आखिर में पुलिस प्रमुख से उसका सवाल जाहिर करता है कि वह वापसी करना चाहती है ।
जो कोई भी केरल में पला- बढ़ा है या फिर इस राज्य में लंबे समय तक रहा है, उसके लिए निमाह के शब्द मेलोड्रामा से भरपूर हैं, लेकिन साथ ही सफ़ेद झूठ भी । यह पूरी फिल्म ही इन दो तथ्यों के इर्द- गिर्द झूलती रहती है । फिल्मकार ने इसे एक सच्ची घटना के तौर पर पेश किया है ।
शुरुआत में ही’ असल जीवन की पात्र’ निमाह पर्दे पर इस मेसेज के साथ आती है कि,’ मेरे साथ कई बार रेप किया गया और बुरी तरह प्रताड़ित किया गया । इस मूवी में उसका कुछ ही हिस्सा दिखाया गया है ।
मैं इस फिल्म का स्वागत करती हूं क्योंकि यह संदेश सभी तक पहुंचना चाहिए । मैं नहीं चाहती कि जोमेरे साथ हुआ है, वह किसी और लड़की के साथ हो ।’ फिल्म में मुस्लिम किरदारों को डार्क शेड में दिखाया गया है । कम्युनिस्टों के साथ भी कोई बहुत अच्छा बर्ताव नहीं हुआ । बार- बार कैमरा एक दीवार पर फोकस करता है, जिस पर लिखा है,’ राष्ट्रवाद हराम है, तुम्हारी पहचान मुस्लिम है ।’ पूरी फिल्म का ट्रीटमेंट बॉलिवुड स्टाइल में है, लेकिन उस तरह का पैनापन नहीं दिखता । फिल्म पर बैन के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट ने जो टिप्पणी की, उससे बेहतर कुछ और इसकी व्याख्या नहीं कर सकता । अदालत ने कहा कि इस तरह की फिल्म मुश्किल से ही राज्य के सेक्युलर ताने- बाने को नुकसान पहुंचा सकती है ।’ द केरल स्टोरी’ की कहानी चार लड़कियों पर आधारित है । इसमें शालिनी एक पारंपरिक हिंदू परिवार से आती है । गीतांजलि मेनन एक कम्युनिस्ट परिवार से है और तीसरी लड़की है निमाह । ये सभी कासरगोड के नर्सिंग कॉलेज में दाखिला लेती हैं । मलप्पुरम की आसिफा चौथी किरदार है, जो इन लड़कियों से दोस्ताना व्यवहार करती है । फिल्म इस दृश्य के साथ ख़त्म होती है, जहां आसिफा और बाकी तीन लड़कियां हॉस्टल के कमरे में साथ दिखती हैं । यह अंत संकेत देता है कि केरल में अब भी धर्म परिवर्तन जारी है और आईएस जैसे आतंकी संगठन साजिश में लगे हुए हैं ।’ द केरल स्टोरी’ के सच्ची घटना पर आधारित होने का दावा किया गया है, लेकिन सच्ची होने के बजाय यह कहानी केरल के लोगों का अपमान करती है । इसमें इस तरह दिखाया गया है, मानो यह पूरे राज्य की कहानी हो । निमाहकहती भी है कि केरल में करीब 30 हज़ार लड़कियां आतंकी और चरमपंथी संगठनों के चंगुल में फंसी हुई हैं । वह बताती है कि एक पूर्व मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि चरमपंथी संगठन केरल को इस्लामी राज्य बनाना चाहते हैं । निमाह के कैरेक्टर की तरह गीतांजलि के माता- पिता भी मूवी के आखिर में दिखाए जाते हैं और उनका संदेश होता है,’ जिस शख़्स ने हमारी बेटी का शोषण किया, उसके ख़िलाफ़ हम कुछ कर नहीं पाए । कम से कम उसकी तस्वीर फिल्म में दिखाई जाए ताकि दूसरे लोग सावधान हो सकें ।’ फिल्म पर विवाद शुरू हुआ इसके ट्रेलर के साथ, जिसमें दिखाया गया कि केरल की करीब 32 हज़ार लड़कियों ने आईएस जॉइन कर लिया है । फिल्म में भी कई सीन हैं, जिनसे जाहिर होता है कि मुस्लिमों और कम्युनिस्टों को किस तरह टारगेट किया गया है । ऐसा एक सीन है, जब शालिनी कासरगोड के नर्सिंग कॉलेज में पहली बार जाती है, तो वहां एक स्लोगन लिखा दिखता है, फ्री कश्मीर । हालांकि अगले सीन में बुरका पहने एक महिला आती है, जो कॉलेज की हेड है और वह इस तरह के स्लोगन के लिए फटकार लगाती है कि भारत जैसे मुल्क में इस तरह की गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी । इसी तरह, अपने प्यार द्वारा धोखा दिए जाने और ब्लैकमेल किए जाने पर गीतांजलि आत्महत्या कर लेती है । ख़ुद को ख़त्म करने से पहले वह अपने पिता को दोष देती है कि अपनी विचारधारा और अपने धर्म के बारे में सिखाने के बजाय उन्होंने कम्युनिज्म की विदेशी विचारधारा सिखाई । ऐसा लगता है कि मूवीयह दिखाने का प्रयास कर रही है, जो धर्म पर विश्वास नहीं रखते उन्हें बरगलाना ज़्यादा आसान होता है । मसलन, एक सीन है, जिसमें नास्तिक परिवार से संबंध रखने वाली गीतांजलि बहुत ध्यान से आसिफा की बात सुनती है कि,’ बिना प्रार्थना के भोजन करना पाप है’ और’ केवल अल्लाह ही हमारी रक्षा कर सकता है’ ।