
SC ने निकायों का कामकाज देखने के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित करने की छूट दी-
NEW DELHI (4 Jan, Agency):
यूपी में स्थानीय निकाय चुनाव फिलहाल टल गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के बगैर तत्काल स्थानीय निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर यह कहते हुए अंतरिम रोक लगा दी कि अगर आरक्षण के बगैर चुनाव कराए गए तो समाज का एक वर्ग छूट जाएगा.
इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन की पहचान का काम उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय पिछड़ा वर्ग आयोग 31 मार्च तक पूरा कर ले. यह आदेश चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली यूपी सरकार और यूपी राज्य चुनाव आयोग की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिए.
पिछड़ेपन का भी परीक्षण
बेंच ने सवाल किया कि क्या आयोग जल्दी प्राइमरी रिपोर्ट नहीं दे सकता. मेहता ने कहा कि आयोग इस मामले में ओबीसी की लिस्ट के आधार पर राजनीतिक पिछड़ेपन का परीक्षण करेगा. उन्होंने आग्रह किया कि कोर्ट आयोग को काम पूरा करने के लिए कुछ समय दे और तत्काल चुनाव कराने के आदेश पर रोक लगा दी जाए.
कमेटी देखेगी निकायों का रोजाना कामकाज
कोर्ट ने इस बीच स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त होने पर नए चुनाव होने तक राज्य सरकार को निकायों का रोजाना का कामकाज देखने के लिए हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने की छूट दे दी है. हालांकि ये कमेटी कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला नही लेगी.
हाई कोर्ट के आदेश का विरोध
बुधवार को मामले पर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण लागू किए बगैर तत्काल स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है. मेहता ने कोर्ट में संवैधानिक प्रविधानों का हवाला दिया और हाई कोर्ट के आदेश पर रोक की मांग की. तभी
जस्टिस चंद्रचूड़ ने मेहता से कहा कि राज्य सरकार की याचिका में कहा गया है कि उसने ओबीसी की पहचान करने के लिए आयोग का गठन कर दिया है. उत्तर प्रदेश लोकल बाडी बैकवर्ड क्लासेस कमीशन के गठन की अधिसूचना 28 दिसंबर को जारी की गई है. यह आयोग कब तक काम पूरा कर लेगा. मेहता ने कहा कि इसे तीन महीने में भी पूरा किया जा सकता है.
आदेश में हाई कोर्ट के कुछ अंश रखे गए बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में हाई कोर्ट के आदेश के वे अंश बरकरार रखे जिसमें स्थानीय निकायों का कार्यकाल पूरा होने और नए चुनाव होने तक जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी (कार्यकारी अधिकारी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और नगर निगम आयुक्त) के प्रशासनिक कामकाज देखने की बात कही गई है. पीठ में शामिल जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा, ‘हम प्रशासन मैं रिक्तता नहीं छोड़ सकते.’ सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि स्थानीय निकायों का कार्यकाल कब पूरा हो रहा है. तो पीठ को बताया गया कि कुछ का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और बाकी का कार्यकाल भी 31 जनवरी तक पूरा हो जाएगा.
92 प्रतिवादियों को तीन हफ्ते का दिया समय
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिकाओं पर नोटिस जारी किया. प्रतिवादियों को याचिकाओं का जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रतिवादियों को याचिकाओं की प्रति दी जाए. पूछे जाने पर कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में कुल करीब 92 प्रतिवादी हैं जिनमें से पांच ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर रखी है जिन्हें याचिका की प्रति दी गई है.