
देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी का एक भी प्रोफेसर नहीं-
» कई कॉलेजों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
ओमवीर यादव, नई दिल्ली।
विडम्बना देखिए विश्वविद्यालयों में पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिले लम्बा समय बीत गया है, लेकिन पिछड़े वर्ग का आज भी एक भी प्रोफेसर के पद शिक्षक नहीं हैं। देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के पद पर पिछड़े वर्ग का शून्य प्रतिनिधित्व है। अगर बात एसोसिएट प्रोफेसर की करें तो यहा भी पिछड़ों का शून्य प्रतिनिधित्व ही है। असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भी 15.85 प्रतिशत ही नियुक्त हो सके हैं। जबकि पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व 27 प्रतिशत होना चाहिए। वही अगर कुल तीनों प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, तथा असिस्टें प्रोफेसर को मिला कर बात की जाए तो पिछड़े वर्ग को अभी केवल 10.25 प्रतिशत ही भागीदारी ही मिल पायी है।
देश कुल 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 17869 हजार पद हैं जिनमें पिछड़े वर्ग को केवल 1141 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ही भागीदारी मिल सकी है।
इसी को लेकर बिजेंद्र कुमार, अम्बेडकर कालेज, चमन सिंह, आचार्य नरेंद्र देव कालेज, तथा अशोक कुमार यादव, श्याम लाल कालेज में तैनात लोगों ने राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, व राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को पत्र लिखा है। इन्होंने मांग की है कि इतने सालों के बाद भी इस वर्ग के साथ न्याय क्यों नहीं हो पाया। उन्हों ने कहा कि अभी आरक्षण पूरा मिल भी नहीं पाया और समीक्षा शुरू गई। जो थोड़े बहुत लोग मुख्यधारा में आ भी पाये हैं। सुनने में आ रही है कि सरकार क्रीमीलेयर का दायरा बढ़ाकर उसे भी बंद करना चाहाती है। जबतक पूरा कोटा न मिल जाये इस तरह की बात करना बेमानी होगी। जबतक पिछड़े वर्ग को न्याय नहीं मिल जाता हमारी लड़ाई जारी रहेगी।