
पुर्नविचार” एक प्रेम कहानी #joshimath

✍️ उमेश जायसवाल ‘उमंग’
अजय का पहला प्यार थी रमा… आखिरकार ऐसी हालत में उसे अजय कैसे छोड़ सकता है,अभी 8 साल ही तो हुए है उसकी शादी के और उसके पति ने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया | वजह कोई बीमारी थी या फिर कुछ और पता नही |
बात आज से बीस साल पहले सन 2003 की है जब रमा अजय से एक क्लास जूनियर थी | पहाड़ो पर बने पगडंडियों के रास्ते दोनों ही एक साथ स्कूल जाया करते थे | एकदूसरे की पसंद और नापसंद का बहुत ख्याल रखते थे |
माँ गंगा की तरह इस पवित्र प्रेम ने पारिवारिक मर्यादाओं की डोर को कभी टूटने ना दिया था | रमा और अजय एक ही बिरादरी के थे फिर भी दोनों ही परिवार की जीवन शैली में बहुत बड़ा अंतर था |
रमा का परिवार पूर्ण रूप से सनातनी दिनचर्या पर आधारित जीवन जीने वाला और अजय का परिवार सनातनी होकर भी किसी भी नीति या नियम की दिनचर्या से बिल्कुल अलग था | रमा का परिवार शुद्ध शाकाहारी जीवन जीने वाला वही अजय के परिवार में बिना मांस के भोजन अस्वीकार्य था |
हृदय से होने वाले प्रेम की सबसे बड़ी बात यही होती है कि यह अपने साथ सद्गुणों को साथ लेकर चलने की ताकत रखता है | रमा के पवित्र प्रेम में अजय के साथ भी यही हो रहा था, बेपरवाह जीवनशैली वाला अजय
रमा के प्यार में ही पड़कर अब मेहनत और सलीके की जिंदगी जीने लगा था |
अजय ने मांस खाना छोड़ दिया था और सबसे मजे की बात ये कि कभी कभी मंदिर जाने अजय अब इस पहाड़ी
गाँव के सबसे ऊचांई पर बने ग्राम देवता के दर्शनो के लिए रोज जाने लगा था |
स्कूल से लौटते वक्त दोनों ही अक्सर पहाड़ की सीढ़ीनुमा खेतों की मेड़ों पर बैठकर दूर दिखाई देने वाले हिमालय की ऊँची चोटियों को देखते हुए साथ जीने मरने की कसमें खाया करते थे |
पर रोज की तरह वो दिन कुछ अलग था | स्कूल की दीवारों से सटे रास्ते पर स्थानीय लोगों की भारी भीड़ जमा थी | वो मैदानी इलाकों के शहरों से आए हुए पीले रंग की बड़ी-बड़ी मशीनों को देखकर आपस में बात कर रहे थे | कुछ लोग तो इनको देखकर ये सोच रहे थे कि आखिर बड़े ट्रकों की तरह दिखने वाली ये मशीनें भला यहाँ इस वीराने पहाड़ी गाँव मे क्या कर रही है |
पूछताछ करने के दौरान यह पता चला कि पहाड़ो के अंदर सुरंग बनने वाली है जिससे यहाँ आवागमन और भी आसान हो जाएगा | गाँव की तरक्की के रास्ते खुल जाएंगे और स्थानीय लोगो को रोजगार के लिए मैदानी इलाकों की तरफ जाना भी नही पड़ेगा |
भाई वाह ! ये तो बहुत ही अच्छी बात है …
अजय ने उछलते हुए रमा से कहा |
अगले ही दिन पहाड़ो में सुरंग बनाये जाने का मुहूर्त था गाँव के लोगो के लिए यह कौतूहल का विषय था |
पर यह क्या ..
जैसे ही पहली मशीन ने पहाड़ो पे पहला वार किया दूर ऊँचाई पर बने ग्राम देवता के मंदिर की दीवारें दरक गयी |
ऐसा लगा जैसे ग्राम देवता स्वयं किसी अनहोनी के होने की आशंका को जाहिर कर दिए हो
पर पहाड़ो में बनने वाले इस सुरंग के प्रोजेक्ट अधिकारियों ने इस घटना पर तनिक भी ध्यान न देते हुए अपना काम जारी रखा |
पहाड़ों के बड़े-बड़े पत्थरों को तोड़ने और काटने वाली इन मशीनों के साथ-साथ कुछ ऐसी भी मशीनें थी जो बड़े-बड़े पेड़ों को पल भर में धराशाई कर देती थी | सब कुछ इतनी तेजी से हो रहा था जैसे मानो कोई भूकंप सा आ गया हो ….
अगला अंक जल्द ही …..
फ़ोटो #उत्तरकाशी की है जिसे मेरे भाई Aman Deep Duggal ने लिया था | और Prateek Gupta इस बात के गवाह है |