
कई हजारों सालों से मानसिक शांति और स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए अध्यात्म का सहारा लिया जाता रहा है. अध्यात्म हमें खुद के और प्रकृति के करीब लेकर आता है. लेकिन 40 की उम्र तक भागदौड़ और परिवार की चिंता के बीच हम अध्यात्म से बहुत दूर चले जाते हैं. वहीं, हमें लगने लगता है कि अध्यात्म के करीब जाना या आध्यात्मिक होना बहुत मुश्किल है और यह साधु- संतों का काम है. जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.
अध्यात्म आपको जीवन जीने का उद्देश्य और मार्गदर्शन देता है. वहीं, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाकर यह शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है. 40 की उम्र के बाद आप इस तरह अध्यात्म के करीब जा सकते हैं. आइए जानते हैं.
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40 की उम्र के बाद अध्यात्म के करीब जाने का तरीका
40 की उम्र के बाद कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में अध्यात्म का इस तरह प्रवेश करवा सकता है. आइए जानते हैं.
40 की उम्र के बाद आपको अपने बारे में जरूर जानना चाहिए. जिसके लिए आपको दिन में कम से कम 5- 10 मिनट बिल्कुल शांत और आरामदायक जगह बैठना चाहिए. इस दौरान आपको अपने अंदर की आवाज पहचाननी चाहिए. इससे आप अपने बारे में बेहतर तरीके से जान पाएंगे और पता लगेगा कि आपका मन क्या चाहता है.
जीवन में सबसे जरूरी खुद से प्यार करना होता है और हम दूसरों की चिंता करते- करते यही भूल जाते हैं. खुद को प्यार करना भी अध्यात्मक के करीब जाने में मदद करता है. क्योंकि, इससे आप अच्छा महसूस करते हैं और अपने आसपास खुशनुमा माहौल बनाकर रखते हैं.
आपको रोजाना कम से कम एक मोटीवेशनल और पॉजीटिव थॉट यानी विचार पढ़ना चाहिए और जीवन में उसे अमल में लाना चाहिए. इससे आप मुश्किल स्थितियों में भी एक सकारात्मक नजरिया बनाकर रख पाते हैं और आसानी से किसी भी परिस्थिति से निकल पाते हैं.
कहते हैं कि हम मिट्टी से ही बनते हैं और अंत में मिट्टी में ही मिल जाते हैं. लेकिन जीते हुए इस मिट्टी और प्रकृति से दूर हो जाते हैं. हमें प्रकृति के करीब रहना चाहिए. इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है और आपका मन स्थिर रह पाता है. प्रकृति के करीब रहना एनर्जेटिक भी बनाता है.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.