यही लोग हैं जिनके कारण इंसानियत जिन्दा है, यह व्यक्ति को उसके बड़े या छोटे होने के लिए नहीं बचाते इंसानियत के नाते बचाते हैं, हरियाणा रोडवेज के ड्राइवर सुशील कुमार ही थे जो घटनास्थल पर मसीहा बन कर पहुंचे।
यही लोग हैं जिनके कारण इंसानियत जिन्दा है, यह व्यक्ति को उसके बड़े या छोटे होने के लिए नहीं बचाते इंसानियत के नाते बचाते हैं, हरियाणा रोडवेज के ड्राइवर सुशील कुमार ही थे जो घटनास्थल पर मसीहा बन कर पहुंचे।
‘मैं सुशील कुमार हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर हूं, मैं हरिद्वार से आ रहा था। जैसे ही हम नारसन के पास पहुंचे 200 मीटर पहले मैंने देखा दिल्ली की तरफ से कार आई और करीब 60-70 की स्पीड में डिवाइडर से टकरा गई। टकराने के बाद कार हरिद्वार वाली लाइन पर आ गई, मैंने देखा कि अब बस भी टकरा जाएगी, हम किसी को बचा ही नहीं सकेंगे क्योंकि मेरे पास 50 मीटर का ही फासला था। मैंने तुरंत सर्विस लाइन से हटाकर गाड़ी फर्स्ट लाइन में डाल दी, वो गाड़ी सेंकड लाइन में निकल गई। मेरी गाड़ी 50-60 की स्पीड में थी, मैंने तुरंत ब्रेक लगाया और खिड़की साइड से कूदकर गया ‘मैंने देखा उस आदमी (ऋषभ पंत) को वो जमीन पर पड़ा था मुझे लगा वो बचेगा ही नहीं। कार में चिंगारियां निकल रही थीं उसके पास ही वो (पंत) पड़ा था, हमने उसे उठाया और कार से दूर किया। मैंने उससे पूछा- कोई और है कार के अंदर वो बोला मैं अकेला ही हूँ। मैं क्रिकेट के बारे में ज्यादा जानता नहीं पर उसने बताया कि मैं ऋषभ पंत हूं, मेरा सहयोगी उसको जानता था, हमने उसे साइड में खड़ा किया उसके शरीर के कपड़े जल चुके थे, तो हमने अपनी चादर में उसे लपेट दिया और प्रशाशन को सूचित किया”।